दिल्ली का खूनी दरवाजा सिर्फ एक पुराना स्मारक नहीं, बल्कि भारत के इतिहास का खामोश गवाह है. 16वीं सदी में शेरशाह सूरी ने इसे काबुली दरवाजा के नाम से बनवाया था, लेकिन इसके नाम पड़ने की कहानी अलग है.
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