ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में अंग्रेजों के जमाने के जेलर का रोल निभाने वाले गोवर्धन असरानी का सोमवार दोपहर 1 बजे निधन हो गया है। 84 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली है। एक्टर को 4 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी लंग्स में पानी भर गया था। एक्टर के निधन की खबर की पुष्टि उनके मैनेजर बाबूभाई थिबा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में की है। निधन की खबर छिपाकर रखने की थी आखिरी इच्छा बाबूभाई थिबा ने बताया कि निधन से पहले असरानी ने अपनी पत्नी के सामने इच्छा जाहिर की थी कि उनकी मौत की खबर किसी को न दी जाए। वो हंगामा नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा था कि अंतिम संस्कार के बाद ही सबको इसकी खबर दी जाए। यही वजह रही कि निधन के तुरंत बाद सांताक्रूज के शांतिनगर स्थित श्मशान में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसमें परिवार के 15-20 लोग ही शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावुक पोस्ट असरानी के निधन पर दुख जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से लिखा है- श्री गोवर्धन असरानी जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। वे एक प्रतिभाशाली मनोरंजनकर्ता और बेहद बहुमुखी कलाकार थे, जिन्होंने पीढ़ियों तक दर्शकों का मनोरंजन किया। अपनी अविस्मरणीय प्रस्तुतियों से उन्होंने अनगिनत लोगों के जीवन में खुशी और हंसी भरी। भारतीय सिनेमा में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ।ॐ शांति। एक हफ्ते पहले ही उन्हें गले लगाया था- अक्षय कुमार असरानी के निधन की खबर मिलने के बाद उनके साथ फिल्म खट्टा-मीठा, भूल भुलैया, दे दना दन कर चुके अक्षय कुमार ने भावुक अंदाज में उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने असरानी के साथ एक अनदेखी तस्वीर शेयर कर लिखा- असरानी जी के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध और स्पीचलेस हूं। बस एक हफ्ते पहले ही हम "हैवान" की शूटिंग पर मिले थे और सबसे गर्मजोशी से भरी एक झप्पी साझा की थी। बहुत प्यारे इंसान थे वो, उनकी कॉमिक टाइमिंग वाकई लाजवाब थी। मेरी कई कल्ट फिल्मों, हेरा फेरी, भागम भाग, दे दना दन, वेलकम और अब हमारी अनरिलीज्ड भूत बंगला और हैवान में मैंने उनके साथ काम किया और उनसे बहुत कुछ सीखा। यह हमारी इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। असरानी सर, आपने हमें हंसने के लाखों कारण दिए, भगवान आपकी आत्मा को शांति दे। असरानी को याद कर नम हुईं अनुपम खेर की आंखें अनुपम खेर ने असरानी के निधन की खबर मिलने के बाद भावुक होते हुए एक वीडियो शेयर किया है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही उनकी असरानी जी से मुलाकात हुई थी। वो अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल में आकर मास्टर क्लासेस लेना चाहते थे। अनुपम खेर बात कहते हुए भावुक हो गए और नम आंखों से कहा, 'उनकी सारी बातें फ्लैशबैक में याद आती हैं। मन उदास हो जाता है। लोग उन्हें उनके काम के लिए याद करेंगे, लेकिन मैं उन्हें उनके व्यक्तित्व के लिए याद रखूंगा। असरानी जी दुनिया को बेहतर जगह बनाने के लिए शुक्रिया, लोगों को हंसाने के लिए शुक्रिया।' निधन से चंद घंटे पहले ही की थी दिवाली से जुड़ी आखिरी पोस्ट सोमवार को दोपहर में गोवर्धन असरानी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट जारी की गई थी, जिसमें उन्होंने सभी को दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं। असरानी ने अपने एक्टिंग करियर में करीब 350 फिल्मों में काम किया है। इनमें शोले, अभिमान, चुपके-चुपके, छोटी सी बात, भूल भुलैया शामिल हैं। फिल्म शोले में असरानी का बोला गया डायलॉग 'हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं' काफी हिट रहा। दैनिक भास्कर को दिया था आखिरी इंटरव्यू निधन से ठीक पहले असरानी ने दैनिक भास्कर को आखिरी इंटरव्यू दिया था। उन्होंने अगस्त में शोले के 50 साल पूरे होने के खास मौके पर हमसे बात की थी। उन्होंने फिल्म शोले में जेलर का किरदार निभाने पर कहा था- 'मुझे फिल्म के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मुझे लगा कि प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एक रोल के लिए बुला रहा है। मैं मिलने गया तो रमेश सिप्पी के साथ सलीम-जावेद भी मिले। जावेद साहब ने स्क्रिप्ट सुनाई कि अटेंशन हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं। यह किरदार बेवकूफ है, लेकिन ऐसा लगता है कि दुनिया का सबसे समझदार आदमी यही है। मैंने सोचा कि ऐसा किरदार तो कभी नहीं निभाया। उन्होंने मुझे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की एक किताब पढ़ने के लिए दी। उसमें हिटलर के 10-12 पोज थे।' 'उन्होंने बताया कि हिटलर पब्लिक के बीच आने से पहले अपने कमरे में फोटोग्राफर के साथ आर्मी की ड्रेस पहनकर रिहर्सल करता था। उसमें से 3-4 पोज मैंने पकड़े और किरदार में वैसा ही एटीट्यूड लाया। फिल्म लंबी हो गई थी तो मेरा सीन काट दिया गया था। नागपुर में एक जर्नलिस्ट ने वह सीन देखा और कहा कि वह सीन तो फिल्म की जान है। फिर बाद में मेरे सीन को जोड़ा गया। आज भी लोग मुझे इस किरदार की वजह से पहचानते हैं।' 'मुझे लग गया था कि जावेद साहब ने जो पढ़कर सुनाया था अगर उसमें गलती की तो डायरेक्टर तो मारेंगे ही, राइटर भी मारेंगे। शूटिंग शुरू होने से 10 दिन पहले तक मैंने डायलॉग की प्रैक्टिस की। मुझे अशोक कुमार की एक बात याद थी कि डायलॉग याद कर लेना, बाकी डायरेक्टर पर छोड़ देना। वो अपने हिसाब से काम निकलवा लेंगे। उसी हिसाब से मैंने शूटिंग पर जाने से पहले पूरी तैयारी कर ली थी। मुझे नहीं लगता कि जेलर के अलावा कोई और किरदार निभा सकता था।' असरानी ने कहा था- मुझे आज भी लोग जेलर के नाम से पहचानते हैं आखिरी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- 'मैं अभी जनवरी में कोटा के पास एक गांव में शूटिंग कर रहा था। सभी गांव वाले इकट्ठा हो गए। उसमें एक चार साल की छोटी सी बच्ची थी। प्रोड्यूसर ने बताया कि बच्ची और उसकी मां मिलना चाहती है। मुझे लगा कि चार साल की छोटी सी बच्ची क्या किसी एक्टर को पहचानेगी, लेकिन वह बच्ची मुझे देखती ही बोली वो असरानी जेलर। मुझे लगता है कि यह एक किरदार की जीत है।' एक नजर असरानी के एक्टिंग करियर पर 1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी के पिता की कार्पेट की दुकान थी। पिता चाहते थे कि बच्चे बड़े होकर उनका बिजनेस संभाले, लेकिन असरानी की दिलचस्पी फिल्मों में थी। असरानी ने जयपुर के राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। वो अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए ऑल इंडिया रेडियो में बतौर वॉइस आर्टिस्ट काम किया करते थे। साल 1960 में उन्होंने साहित्य कलभाई ठक्कर में दाखिला लिया और एक्टिंग सीखी। 1962 में कोर्स पूरा होते ही वो काम ढूंढने मुंबई पहुंचे, लेकिन कोई मौका नहीं मिला। 1963 में किशोर साहू और ऋषिकेश मुखर्जी ने उनका हुनर पहचाना जरूरी, लेकिन प्रोफेशनल एक्टिंग सीखने की सलाह दी। 1964 में असरानी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया। 2 साल बाद कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें फिल्म हरे कांच की चूड़ियां में काम मिला, जो 1967 में रिलीज हुई। इस दौरान पॉपुलर फिल्ममेकर ऋषिकेष मुखर्जी ने उन्हें 1969 की फिल्म सत्यकाम में एक रोल दिया, जिससे उन्हें पहचान मिल गई। इसके बाद 1971 में रिलीज हुई फिल्म गुड्डी ने उन्हें कामयाब बना दिया। इसके बाद से ही उन्हें लगातार फिल्मों में काम मिलने लगा। राजेश खन्ना के साथ कीं 25 फिल्में फिल्म बावर्ची में असरानी ने राजेश खन्ना के साथ काम किया था। दोनों की दोस्ती सेट पर काफी गहरी हो गई। राजेश खन्ना को असरानी का काम इस कदर पसंद आया कि वो प्रोड्यूसर्स से कहकर अपनी हर फिल्म में कॉमेडियन के तौर पर असरानी को कास्ट करवाने लगे। इसी तरह असरानी ने राजेश खन्ना की करीब 25 फिल्मों में काम किया था। अमिताभ की कई फिल्मों में उन्होंने हीरो की बराबरी वाले रोल निभाए, जैसे अभिमान (1973) में 'चंदर' और 'चुपके चुपके' (1975) में प्रशांत कुमार श्रीवास्तव का। 'छोटी सी बात' (1975) में उनके द्वारा निभाया गया नागेश शास्त्री का किरदार भी किसी हीरो से कम नहीं है। 'शोले' (1975) में एक डायलॉग बोलकर असरानी ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफलता पाई। 'अंग्रेजों के जमाने के जेलर' वाला उनका डायलॉग अब असरानी की पहचान है। असरानी को आखिरी बार साल 2023 में रिलीज हुई फिल्म नॉनस्टॉप धमाल और ड्रीम गर्ल 2 में देखा गया था। इसके अलावा वो सलमान खान के साथ बॉडीगार्ड, क्यों की, अक्षय कुमार के साथ दे दना दन, खट्टा-मीठा, वेलकम, भूल भुलैया, भागम भाग जैसी कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं। आने वाले दिनों में वो एक्ट्रेस एकता जैन के साथ फिल्म खली-बली में नजर आने वाले थे। इसके अलावा वो अक्षय कुमार स्टारर फिल्म भूत बंगला और हैवान में भी नजर आएंगे, जिसकी शूटिंग उन्होंने कुछ दिनों पहले ही की थी। गूगल पर ट्रेंड हो रहे हैं असरानी निधन की खबर आने के बाद से ही गोवर्धन असरानी गूगल पर जमकर सर्च किए जा रहे हैं। यही वजह है कि वे गूगल पर ट्रेंडिंग है। सोमवार शाम उनके निधन की खबर आते ही लोग उनके बारे में गूगल के जरिए ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं। Source- Google Trends ........................... ये खबर भी पढ़ें... पंकज धीर के अंतिम संस्कार में इमोशनल हुए सलमान खान:बेटे निकितिन ने मुखाग्नि दी, सुबह अंतिम सांस ली थी; कैंसर से जूझ रहे थे एक्टर पंकज धीर (68) को उनके बेटे निकितिन ने 15 अक्टूबर को पवन हंस क्रीमैटोरियम में मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के वक्त सलमान खान इमोशनल नजर आए। पूरी खबर यहां पढ़ें...
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