Goverdhan Puja 2025: पांच दिवसीय दीपावली पर्व का एक दिन गोवर्धन पूजा यानि दीपावली का अगला दिन अन्नकूट का पर्व श्रीकृष्ण द्वारा प्रकृति की पूजा का संदेष विश्व को प्रदान करने का दिन है. इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 21 अक्टूबर शाम 5ः54 बजे होगा और प्रतिपदा तिथि का समापन 22 अक्टूबर शाम 8ः16 बजे हो जाएगा. जब ना अंधेरा हो, ना ही सूर्य अपनी किरणें बिखेर चुका हो, उस समय करनी चाहिए गोवर्धन पूजा.
जिनका मन स्थिर नहीं, चित्त शांत नहीं, हमेशा भटकाव रहता है, ऐसे लोगों के लिए यह त्यौहार अत्यंत महत्वपूर्ण है. भले ही आप माँ लक्ष्मी की पूजा करके देर से सोए हो लेकिन गोवर्धन पूजा पूरी श्रद्धा के साथ जरूर करें.
शास्त्रों में वर्णित गोवर्धन पूजा का महत्व
शास्त्रों और वेदों में इस दिन बलि की पूजा, गोवर्धन पूजा, गौ-पूजा, अन्नकूट होता है तो इस दिन वरूण, इन्द्र, अग्निदेव आदि देवताओं की पूजा का विधान है. एक बार देवराज इन्द्र ने कुपित होकर सात दिन की वर्षा की अखंड झड़ी लगा दी.
परंतु श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रज को बचा लिया तथा इंद्र को लज्जित होने के पश्चात् उनसे क्षमायाचना करनी पड़ी.
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा प्रकृति के पूजन का प्रतीक है. भगवान श्रीकृष्ण ने सदियों पहले ही समझा दिया था कि इंसान तभी सुखी रह सकता है, जब वह प्रकृति को प्रसन्न रखें. प्रकृति को ही परमात्मा मानें और परमात्मा के रूप में ही प्रकृति की पूजा करें, हर हाल में प्रकृति की रक्षा करे.
इस बार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06ः30 बजे से 08ः47 बजे तक रहेगा. साथ ही इस दिन प्रीति योग, लक्ष्मी योग भी है. यह पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फलदायी है.
इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है.
गोवर्धन पूजा की विधि
लक्ष्मी का एक रूप अन्नपूर्णा का है. जिस घर में माँ अन्नपूर्णा स्थिर रूप से विराजमान होगी, वहां सदैव स्थाई रूप से सुख-समृद्धि एवं शांति का वास होगा. इसलिए इस दिन सूर्योद्य से पहलें उठकर सर्वप्रथम अपने घर में झाड़ू लगाएं.
वह भी घर के अन्दर से लेकर बाहर की ओर जिससे घर के सभी दरिद्रता व अशुभता बाहर निकल जाए. झाड़ू निकल जाने के पश्चात् घर के बाहर से आपको थाली बजाते-बजाते घर में प्रवेश करना है. कुछ इस तरह भाव करें जिस तरह माँ लक्ष्मी आपके घर पधार रही है.
फिर स्नानादि से निवृत होकर गोबर या मिट्टी लेकर घर के मुख्य द्वार के चौखट पर छोटा पर्वत और पाल बनाकर उन्हें गोवर्धन स्वरूप मानकर उनकी पूजा-अर्चना करें.
फिर केसर-कुंकुम का तिलक करें, अक्षत चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाए व नैवेद्य स्वरूप कोई भी प्रसाद का भोग लगाएं. फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें की हमारे घर में सदैव माँ लक्ष्मी का वास बना रहे व उनकी कृपा दृष्टि और आशीर्वाद हमेशा स्थापित रहे.
साथ ही इस दिन 56 भोग या अन्नकूट तैयार करें और भगवान श्रीकृष्ण तथा गोवर्धन महाराज को अर्पित करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि इन 56 भोग की तरह ही हमारी जीवनरूपी थाली भी सुख के प्रत्येक स्वाद के साथ सजी रहे और आपकी कृपा बनी रहे.
धन संचय में वृद्धि के लिए-गोवर्धन पूजा के समय एक थाली में 5 गोमती चक्र और 5 कौड़ियां रखें और उनकी भी रोली-चावल से पूजा करें. पूजा के बाद उन्हें उठाकर एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें.
सौभाग्य वृद्धि के लिए-गोवर्धन पूजा के समय एक हल्दी की गांठ, एक गोमती चक्र, कौड़ी, गुंजाफल और 5 मुखी रुद्राक्ष लेकर एक पोटली बनाएं और पूजा के बाद उस पोटली को अपने घर के मंदिर में, तिजोरी में, ऑफिस के कैश बॉक्स में या अपने पर्स में रखे.
संतान सुख और संतान से सुख की प्राप्ति के लिए- इस दिन दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से पंचामृत बनाएं और फिर उसमे गंगाजल और तुलसी मिलाकर शंख में भरकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें और फिर क्लीं कृष्ण क्लीं मंत्र का 5 माला जाप करें. जाप के बाद पंचामृत घर के सभी सदस्य ग्रहण करें. साथ इस दिन मंदिर में हरी सब्जियों का दान करें.
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