आईजी के अनुसार, इन सूचनाओं में से केवल दो से तीन प्रतिशत ही उपयोगी साबित होती हैं, जब सीधा सामना होता है या आतंकियों का ठिकाना/मददगार सामने आता है. सूचनाओं की पुष्टि में समय न होने के कारण, सैकड़ों जवान अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर तत्काल कार्रवाई करते हैं.
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