उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित पतंजलि वेलनेस सेंटर (योगग्राम एवं निरामयम) में असाध्य रोगों के उपचार को लेकर आशा और विश्वास की कई नई कहानियां सामने आई हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे रोगियों के अनुभव हैं. पतंजलि का दावा है कि कैंसर से जूझ रहे कई मरीजों ने योग, प्राणायाम और आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से पूर्ण या आंशिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है.
पतंजलि ने बताया, ''कैंसर के कई मरीज पतंजलि वेलनेस पहुंचे और उन्हें यहां के एकीकृत उपचार पद्धति पर भरोसा मिला. एक मरीज शिखा भुनिया की माता जी (57 साल, हावड़ा) को 2022 में कैंसर डिटेक्ट हुआ था, लेकिन पतंजलि में सात दिनों के उपचार और एक साल तक बताए गए नियमों का पालन करने के बाद मार्च 2023 में सिटी स्कैन की जांच 'कैंसर फ्री' आई.'' पतंजलि ने आगे बताया, ''इसी तरह, पुणे के अजय राजेन्द्र बण्डल (28 साल) को सिर में बढ़ता कैंसर था, लेकिन थेरेपी और औषधि से उन्हें आराम मिला और वे पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं.''
पतंजलि ने क्या दावा किया है?
पतंजलि का दावा है, ''कैंसर से जूझ रहे मरीजों के अनुभव बताते हैं कि यहां की उपचार पद्धति कितनी प्रभावी है. बैंगलुरु के गौरान सिंह (41 साल) ने, जिन्हें ब्लड कैंसर था और दो बार ब्लड ट्रांसप्लांट हो चुका था, सात दिनों के उपचार के बाद दर्द खत्म होने और कमजोरी में कमी आने की बात कही. वहीं, बिहार में छपरा के विजय कुमार सिंह (62 साल) ने बताया कि 6 दिनों के उपचार में ही उनके टीएलसी, प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार हुआ.''
विभिन्न प्रकार के कैंसर में मिली सफलता- पतंजलि
पतंजलि का दावा है...
महाराष्ट्र- ओस्मानाबाद के ज्ञानेश्वर विठ्ठलराव पाटिल (50 साल) लीवर सिरोसिस के उपचार के लिए आए और बताया कि डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार, आयुर्वेदिक दवाइयां और प्राणायाम से उनका वायरल लोड अब 'बिल्कुल सामान्य' है.
राजस्थान- भरतपुर के वेद प्रकाश जी (74 साल) को किडनी कैंसर था और जांच में पाया गया था कि उनकी 80% किडनी खराब हो चुकी है. हॉस्पिटल में भर्ती न होकर पतंजलि में उपचार शुरू करवाया, जिसके बाद उनकी तबीयत में प्रतिदिन सुधार हुआ और अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं.
दिल्ली- बबीता सचदेवा (52 साल) ने गले के कैंसर (थायरॉइड कैंसर) का ऑपरेशन कराया था, जिसके बाद भी समस्या बढ़ रही थी. योगग्राम में लगातार प्राणायाम करने से वे अब पूर्णतः स्वस्थ हैं.
पश्चिम बंगाल- हावड़ा की अनीता कुमारी (33 साल) को कैंसर था, जिनका बनारस के बड़े हॉस्पिटल में इलाज हुआ और डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए कह दिया था. लेकिन पतंजलि में 15 दिन के उपचार से उन्हें लाभ मिला और तीसरी बार आने पर उनकी बीमारी 'बिल्कुल सामान्य' हो चुकी है.