यह तीर्थयात्रा साल 1974 के भारत-पाकिस्तान धार्मिक स्थलों के दौरे पर बने प्रोटोकॉल के तहत आती है. इस प्रोटोकॉल के तहत दोनों तरफ के भक्तों को राजनीतिक तनाव के बावजूद जरूरी धार्मिक कार्यक्रमों के लिए यात्रा करने की इजाजत देता है.
                
                                
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