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    स्ट्रेस और डिप्रेशन में न होना कंफ्यूज, ऐसे पहचानें कि मेंटली थक चुके हैं आप

    3 days ago

    Difference between stress and depression: आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान के हाथ से रिलैक्स नाम की चीज निकलता जा रहा है. हर किसी की जिंदगी में स्ट्रेस है. कोई नौकरी को लेकर है, कोई पढ़ाई को लेकर, कोई प्यार को लेकर. हर किसी के अपने-अपने कारण हैं. लंबे वर्किंग ऑवर्स, काम का दबाव और निजी जिम्मेदारियां मिलकर इंसान को मानसिक रूप से थका देती हैं. लेकिन इस दौरान हम दो चीजों से गुजरते हैं. पहला होता है स्ट्रेस और दूसरा होता है डिप्रेशन. अक्सर लोग इनके बीच का अंतर समझ नहीं पाते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे पता करें कि आप मेंटली थक चुके हैं या फिर नहीं.

    स्ट्रेस क्या है?

    WHO के अनुसार, यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो कामकाजी दबाव की वजह से उत्पन्न होती है. इसको डिप्रेशन नहीं कहा जा सकता है. इसके तीन प्रमुख लक्षण होते हैं. पहला है ऊर्जा की कमी या लगातार थकान, दूसरा है काम से दूरी और निगेटिव सोचना और तीसरा है काम करने की ऊर्जा में लगातार कमी का होना. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो, अगर आपको काम करने का उत्साह नहीं रहा, काम बोझ लगने लगे और आप बार-बार सोचें कि "अब मुझसे नहीं होगा", तो यह मेंटल स्ट्रेस का संकेत हो सकता है.

    डिप्रेशन क्या है?

    स्ट्रेस से अलग अगर डिप्रेशन के लक्षणों को देखा जाए, तो यह एक तरह से मेंटल डिसऑर्डर है. WHO की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में करोड़ों लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. इससे इंसान का सिर्फ काम ही प्रभावित नहीं होता, यह इंसान के पूरे जीवन को तहस-नहस करके रख देता है. अगर इसके लक्षणों की बात करें, तो इसके लक्षण कई तरह के होते हैं, जिनमें लगातार उदासी या निराशा का भाव, जिन चीजों में पहले खुशी मिलती थी, उनमें रुचि खत्म होना, नींद और भूख में बदलाव, खुद को दोषी मानना और कभी-कभी इंसान अकेले में गलत कदम उठाने का भी सोचने लगता है.

    अंतर कैसे पहचानें?

    2019 में Frontiers in Psychology में छपे एक रिसर्च के अनुसार, अगर थकान और निगेटिव थिंकिंग मुख्य रूप से काम या जिम्मेदारियों तक सीमित है, तो यह स्ट्रेस हो सकता है. लेकिन अगर उदासी और निराशा जीवन के हर पहलू पर असर डाल रही है, तो यह डिप्रेशन हो सकता है. स्ट्रेस को समय लेकर आराम करके सुधारा जा सकता है, लेकिन डिप्रेशन के लिए आपको एक्सपर्ट से मिलना पड़ सकता है. इसी रिसर्च में बताया गया कि इन दोनों में कुछ समानताएं भी देखने को मिलती हैं. हालांकि, दोनों को अलग-अलग मानना जरूरी है, क्योंकि इनके इलाज और समाधान भी अलग हैं. इससे बचने के लिए आपको नियमित रूप से अपनी मानसिक स्थिति पर ध्यान देना होगा और यदि सिर्फ काम से थके हैं, तो नींद, व्यायाम, संतुलित आहार और समय-समय पर ब्रेक लें. डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हों, तो आपको इसके लिए एक्सपर्ट से मिलना होगा.

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    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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