US India trade tension: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर परेशानी कम होने के नाम नहीं ले रही है. पिछले ही सप्ताह, भारत का एक प्रतिनिधिमंडल वांशिगटन से लौटा है. जिसका नेतृत्व वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे थे. उन्होंने जानकारी थी कि, दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता सकारात्मक रही है.
वहीं, अब सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि, अगर भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं किया तो, उसे भारी-भरकम टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. साथ ही उन्होंने भारत की तुलना हंगरी से की है. ट्रंप ने कहा कि, हंगरी फंसा हुआ है, क्योंकि वह भी एक ही देश के पाइपलाइन पर निर्भर है.
ट्रंप का क्या है कहना?
ट्रंप ने सोमवार को एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि, मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात की है. उन्होंने मुझसे कहा कि, भारत रूस के साथ क्रूड ऑयल के सौदे नहीं करेगा. हालांकि, जब भारतीय केंद्र सरकार की ओर से इस तरह की किसी भी बात के ना होने की बात कही गई. इसपर ट्रंप ने जवाब दिया कि, अगर भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना चाहता है तो, उसे भारी टैरिफ के लिए तैयार रहना चाहिए और मुझे ऐसा नहीं लगता है कि वे ऐसा चाहेंगे.
डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस में एक लंच के दौरान बताया कि, भारत अपनी तेल की जरूरतों का 38 प्रतिशत हिस्सा रूस से पूरी करता हैं, लेकिन अब भारत इस कदम से पीछे हट रहा हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से भारत पर भारी-भरकम टैरिफ की धमकी दी जा रही है. अमेरिका ने पहले ही भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा रखा हैं. एक ओर तो दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता चल रही हैं. वहीं, ट्रंप के इस बयान से बाजार में फिर से तेज उथल- पुथल दिख सकती है.
भारत ने दिया हैं जवाब
भारत ने अमेरिकी टैरिफ और उसके द्वारा लगातार बनाए जा रहे दवाब को लेकर कई मंचों पर अपना जवाब दिया है. केंद्र सरकार ने कहा कि, उनकी एनर्जी पॉलिसी पूरी तरह के देश के हितों पर आधारित है. भारत सरकार अपने नागरिकों को वैश्विक स्तर पर हो रही तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाना चाहती है. भारत विभिन्न देशों से तेल खरीदकर खुद की निर्भरता किसी एक देश पर नहीं रखना चाहता. ताकि, भविष्य में किसी भी एक देश पर निर्भर ना होना पड़े और देश में तेल का आयात लगातार होता रहे.
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