EPFO New Rule: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने प्रोविडेंट फंड और पेंशन अकाउंट से समय से पहले या प्रीमैच्योर फाइनल सेटलमेंट की समयसीमा में बदलाव किया है. अब नियम पहले के मुकाबले कड़े हो गए हैं. इसके तहत, EPFO सब्सक्राइबर्स अब अब नौकरी छोड़ने के 12 महीने बाद ही फाइनल सेटलमेंट के लिए अप्लाई कर सकते हैं, जबकि पहले यह समयसीमा दो महीने की थी. इसी तरह से अब 36 महीने तक बेरोजगार रहने के बाद पेंशन निकासी की अनुमति होगी.
अभी क्या है नियम?
मौजूदा समय में अगर कोई सदस्य कम से कम एक महीने से बेरोजगार है, तो वह अपने पीएफ अकाउंट में से ईपीएफ बैलेंस का 75 परसेंट तक निकाल सकता है. ईपीएफ योजना के अनुच्छेद 69(2) के तहत, कोई सदस्य जो लगातार दो महीने तक बेरोजगार रहता है, उसे अपना पूरा ईपीएफ बैलेंस निकालने की अनुमति है.
EPF विदड्रॉल को लेकर केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि नौकरी छूटने की स्थिति में प्रोविडेंड फंड में 75 परसेंट तक अमाउंट तुरंत निकाला जा सकेगा. बाकी बचा हुआ 25 परसेंट अमाउंट, जिसे मिनिमम बैलेंस तय किया गया है, नौकरी छूटने के एक साल बाद निकाला जा सकेगा. उन्होंने बताया कि सदस्यों की सुविधा और रिटायरमेंट के बाद उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आंशिक निकासी को सरल और उदार बनाने का निर्णय लिया गया है.
मिनिमम बैलेंस रखना क्यों जरूरी?
ईपीएफ अकाउंट में विशेष परिस्थितियों को छोड़कर कम से कम 25 परसेंट मिनिमम बैलेंस मेंटेन इसलिए करनी होगी ताकि सदस्यों को इस पर मिलने वाली ऊंची ब्याज दर और कंपाउंडिंग का फायदा मिलता रहे, जो सालाना 8.25 परसेंट है.
एक ये भी फायदा
इस बदलाव का एक फायदा यह भी है कि पहले आंशिक निकासी के लिए सदस्यों को कारण बताने पड़ते थे जैसे कि बेरोजगार रहने की स्थिति या कोई प्राकृतिक आपदा या कंपनी या संस्थान का बंद हो जाना वगैरह. वहीं अब सदस्यों को कोई वजह नहीं बतानी होगी या एप्लीकेशन के साथ कोई डॉक्यूमेंट्स नहीं जमा कराने होंगे. इससे आंशिक निकासी पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है.
क्यों जरूरी समझा गया यह बदलाव?
पहले अगर कोई ईपीएफओ सब्सक्राइबर 2 महीने तक बेरोजगार रहता था, तो वह अपना पूरा PF और पेंशन अमाउंट निकाल सकता था. अब जब दोबारा उनकी नई नौकरी लगती है और फिर वह ईपीएफओ से जुड़ते, तो पेंशन के मामले में दिक्कतें आती हैं. दरअसल, पेंशन के लिए नौकरी का कम से कम दस साल तक का अनुभव होना जरूरी है. अब जब लोग पहली नौकरी छूटने के बाद ही पूरा पैसा निकाल लेते हैं, तो यह साइकिल ब्रेक हो जाता है. पहले की हुई नौकरी और नई नौकरी दोनों की अवधि जुड़ नहीं पाने की वजह से नई नौकरी से फिर से दस साल की सेवा पूरी करनी होती है. ऐसे में अगर कोई एक या दो नहीं, बल्कि अगर पूरे 12 महीने तक बेरोजगार रहता है, तो यह समझते हुए कि उसे पैसों की जरूरत है, पीएफ का पूरा पैसा निकालने की अनुमति दी जाएगी.
पेंशन अमाउंट को लेकर भी बदले नियम
EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मीटिंग में श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने पेंशन अमाउंट को लेकर भी नए नियम तय किए. इसी तरह, पेंशन अमाउंट को भी अब 2 महीने में की जगह 36 महीने में निकाल सकेंगे. यानी कि मोटे तौर पर पीएफ का पैसा निकालने में अब लोगों को पहले के मुकाबले ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है. इससे आर्थिक जरूरतें भी पूरी होंगी और रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सिक्योरिटी की भी कोई चिंता नहीं रहेगी.
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