अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस साल की शुरुआत में दुनियाभर के देशों पर लगाए गए हाई टैरिफ से वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल मच गई थी. हालांकि बाजार ने धीरे-धीरे रिकवरी कर ली, लेकिन कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अब भी इन मनमाने शुल्कों के दबाव से जूझ रही हैं.
ट्रंप की इस नीति की काफी आलोचना भी हुई, और कई देशों ने अमेरिका के साथ समझौते कर लिए, जबकि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत अब तक सफल नहीं हो पाई है. फिर भी, आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि टैरिफ का भारत के कुल एक्सपोर्ट पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा.
टैरिफ का नहीं असर!
चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर) में भारतीय निर्यातकों ने 24 देशों को किए गए एक्सपोर्ट में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है. इन देशों में दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, टोगो, मिस्र, वियतनाम, इराक, मैक्सिको, रूस, केन्या, नाइजीरिया, कनाडा, पोलैंड, श्रीलंका, ओमान, थाईलैंड, बांग्लादेश, ब्राजील, बेल्जियम, इटली और तंजानिया शामिल हैं.
कॉमर्स मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिसर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि इन 24 देशों को पहली छमाही में कुल 129.3 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में वृद्धि दिखाता है. यह भारत के कुल एक्सपोर्ट का करीब 59 प्रतिशत है. दूसरी ओर, अमेरिका को एक्सपोर्ट में गिरावट दर्ज की गई है, जो मुख्य रूप से सितंबर में वाशिंगटन द्वारा लगाए गए नए हाई टैरिफ के कारण हुई.
आए हैरान करने वाले आंकड़े
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर 2025 के दौरान भारत का कुल एक्सपोर्ट 3.02 प्रतिशत बढ़कर 220.12 अरब डॉलर रहा, जबकि इंपोर्ट 4.53 प्रतिशत बढ़कर 375.11 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इस अवधि में व्यापार घाटा 154.99 अरब डॉलर पर आ गया. हालांकि, 16 देशों को भारत के एक्सपोर्ट में नकारात्मक वृद्धि देखी गई है, जिनका योगदान देश के कुल एक्सपोर्ट में करीब 27 प्रतिशत (60.3 अरब डॉलर) है.