Legal risks for Indian IT companies: भारतीय आईटी कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में अपने काम में स्वरूप को बदलने के प्रयास किया है. आज की भारतीय आईटी कंपनियों केवल आउटसोर्सिंग सर्विस देने तक खुद को सीमित नहीं रखना चाहती. आईटी कंपनियां नई टेक्नोलॉजी, खुद के सॉफ्टवेयर, प्लेटफॉर्म और खास कर एआई पर बेस्ड नए प्रोडक्ट बनाने पर जोर दे रही हैं.
एक ओर तो, इस खबर से भारत के आईटी कंपनियों के बदलते एजेंडे का पता चल रहा है. वहीं दूसरी ओर, अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियों पर कानूनी मुकदमे दायर किए जा रहे है. अमेरिका के सख्त कानून ने आईटी कंपनियों को परेशान किया है. आज हम बात करेंगे कि, आखिर अमेरिका के बाजार में भारतीय आईटी कंपनियों को क्यों नई दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है.
अमेरिका है सबसे बड़ा बाजार
भारत की आईटी कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे बड़े बाजारों में से एक है. देश की प्रमुख आईटी कंपनियां अपनी सर्विसेस अमेरिका को प्रोवाइड करवाती है. हालांकि, अमेरिका के सख्त कानून से कंपनियों पर कानूनी मुकदमे की तलवार लटकती रहती है. अमेरिका की कानून प्रणाली की बात करें तो, यह बहुत ही कठोर है.
अगर किसी भी कंपनी पर पेटेंट या सॉफ्टवेयर के गलत इस्तेमाल से संबंधित कोई मामला सामने आता है तो, कंपनियों पर कानून मुकदमें दर्ज किए जाते है. साथ ही उनसे फाइन के रुप में करोड़ों डॉलर का भुगतान लिया जाता है. ऐसे में भारत की आईटी कंपनियों के लिए भी नया खतरा उत्पन्न हो सकता हैं, क्योंकि कंपनियां अब नए नवाचार पर काम कर रही है.
हेक्सावेयर केस का मामला
अमेरिकी कंपनियां के दायर मुकदमे का सिर्फ एक पहलू नहीं है. मामला विवाद से ज्यादा लग रहा है. अमेरिकी आईटी कंपनियां भारत की आईटी कंपनियों के नए प्रयासों को खुद के लिए खतरा मान रही है. यही कारण है कि, मुकदमे दायर किए जा रहे है. इसे हाल में हुई एक घटना से जोड़ कर देखा जा रहा है.
पिछले दिनों भारत की हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज पर अमेरिकी की नैटसॉफ्ट और अपड्राफ्ट कंपनी ने 500 मिलियन डॉलर (भारतीय रुपए में लगभग 4,000 करोड़ रुपए) का मुकदमा दायर किया है. अमेरिकी कंपनी का आरोप है कि, हेक्सावेयर ने उनकी टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल किया है.
क्या कहते है विशेषज्ञ?
आईटी विशेषज्ञों का मानना है कि, भारतीय आईटी कंपनियों को नई टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर, एआई टेक्नोलॉजी इत्यादि पर काम करने के साथ- साथ कानून कोड लाइन को समझना भी जरूरी है. इसके लिए कंपनियों को उचित कदम उठाने चाहिए. नई प्रोजेक्ट को लेकर स्पष्ट कॉन्ट्रैक्ट बनवाने चाहिए और इनमें नई टेक्नोलॉजी से संबंधित सभी जानकारियों को लिखना चाहिए. ताकि भविष्य में कंपनियां को किसी भी तरह की परेशानी ना हो.
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