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    Diwali 2025: दिवाली की रात क्यों खोलकर रखे जाते हैं घरों के दरवाजे? जानें पौराणिक कथा क्या कहती है?

    2 days ago

    Diwali 2025: दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

    धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साल भर खुशहाल जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद देती हैं. माता लक्ष्मी की कृपा से घर में साल भर आर्थिक तंगी नहीं आती.

    दिवाली के दिन रात को लोगों के अपने घरों का दरवाजा खुला रहता है. घरों के दरवाजे खुले क्यों रखते हैं? इसके बारे में एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं उस कथा के बारे में.

    दिवाली की रात दरवाजे क्यों खुले रखें जाते हैं?

    दिवाली की रात लोग अपने घरों का दरवाजा इसलिए खुला रखते हैं कि, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती हैं. जहां वे रोशनी, स्वच्छता, और श्रद्धा पाती हैं, उन घरों में वो लक्ष्मी वास करती हैं,

    इसलिए घर में उनका स्वागत करने और उन्हें अंदर आने के लिए दरवाजों को खुला छोड़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी-देवता अंधेरे घरों में नहीं आते, इसलिए रोशनी और खुले दरवाजों से उनका स्वागत किया जाता है.

    दिवाली की पौराणिक कथा

    एक कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी कार्तिक मास की अमावस्या की रात में भ्रमण पर निकलीं, लेकिन संसार में अंधेरा छाया हुआ था. ऐसे में माता लक्ष्मी रास्ता भटक गईं.

    इसके बाद उन्होंने ये तय किया कि ये रात मृत्यु लोक में गुजारी जाए और सुबह बैकुंठ धाम लौटा जाए, लेकिन माता को हर घर का दरवाजा बंद मिला, लेकिन एक द्वार खुला था.

    उस द्वार पर दीपक जल रहा था. इस पर माता लक्ष्मी दीपक की रौशनी की ओर चली गईं. वहां जाकर माता लक्ष्मी ने देखा कि एक बुजुर्ग महिला काम कर रही थी. इसके बाद माता लक्ष्मी ने उससे कहा कि उनको रात में रुकने के लिए स्थान चाहिए.

    फिर बुजुर्ग महिला ने माता को अपने घर में शरण दी और बिस्तर प्रदान किया. इसके बाद वो अपने काम में लग गई. काम करते-करते बुजुर्ग महिला की आंख लग गई. सुबह जब वो उठी तो देखा कि अतिथि जा चुकी थीं, लोकिन उसका घर महल में बदल चुका था.

    चारों और हीरे-जेवरात और धन-दौलत रखी हुई थी, तब उस बुजुर्ग महिला को पता चला कि रात में जो अतिथि उसके घर आईं थीं, वो कोई और नहीं, बल्कि स्वयं माता लक्ष्मी थीं.

    इसके बाद से ही कार्तिक मास की अमावस्या की रात घर में दीपक जलाने और घर को खुला रखने की परंपरा शुरू हो गई. इस रात लोग घर का दरवाजा खोलकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतीक्षा करते हैं.

    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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