Russian Crude Oil Purchase: रूस से भारत का कच्चा तेल आयात अक्टूबर के पहले पखवाड़े में मजबूत हुआ है, जिससे जुलाई से सितंबर तक जारी तीन महीने की गिरावट थम गई है. जहाजों की आवाजाही से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक, त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए भारतीय रिफाइनरियां पूरी क्षमता से काम कर रही हैं, जिसके चलते आयात में सुधार देखने को मिला है.
तीन महीने बाद बढ़ी आवक
रूस से भारत का कच्चा तेल आयात जून में 20 लाख बैरल प्रति दिन (BPD) से घटकर सितंबर में 16 लाख BPD रह गया था. हालांकि, अक्टूबर के शुरुआती आंकड़े सुधार का संकेत देते हैं. भारत को यूराल और अन्य रूसी ग्रेड के तेल की आपूर्ति में तेजी आई है, जिसे पश्चिमी बाजारों में मांग में कमी और नई छूट (discount) से समर्थन मिला है.
वैश्विक व्यापार विश्लेषण कंपनी ‘केप्लर’ के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में भारत का तेल आयात लगभग 18 लाख बैरल प्रति दिन रहा, जो पिछले महीने की तुलना में करीब 2.5 लाख BPD अधिक है. हालांकि, कंपनी का कहना है कि चालू महीने के आंकड़े संशोधित हो सकते हैं.
ट्रंप के बयान पर भारत की सफाई
ये आंकड़े अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 15 अक्टूबर के उस बयान से पहले के हैं, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी तेल आयात रोकने पर सहमति जताई है. हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें ऐसी किसी बातचीत की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि रूसी तेल भारत की ऊर्जा प्रणाली का अहम हिस्सा है.
केप्लर के चीफ रिसर्च एनालिस्ट (रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग) सुमित रिटोलिया का कहना कि ट्रंप का बयान किसी नीतिगत बदलाव की बजाय व्यापारिक दबाव रणनीति प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि आर्थिक, संविदात्मक और रणनीतिक कारणों से रूसी तेल का भारत की ऊर्जा प्रणाली में अहम स्थान है. भारतीय रिफाइनरियों ने भी स्पष्ट किया है कि सरकार की ओर से रूसी तेल आयात बंद करने का कोई निर्देश नहीं मिला है.
यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ा रूसी तेल का आयात
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद, भारत ने रूस से तेल आयात में उल्लेखनीय वृद्धि की थी. पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय मांग में गिरावट के कारण रूसी तेल भारी छूट पर उपलब्ध हो रहा है, जिससे भारत जैसे ऊर्जा आयातक देशों को लाभ मिला है.