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    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा बोले-सिनेमा को समझने सड़कों पर निकला हूं:सभी सोचते थे शाहरुख का बेटा हीरो लॉन्च होगा, अच्छा लगा वो निर्देशक बनकर आया

    1 week ago

    बॉलीवुड निर्देशक-लेखक अनुभव सिन्हा इन दिनों अपने खास सफर पर हैं। वे न तो किसी फिल्म प्रमोशन के लिए, न ही किसी शूटिंग के सिलसिले में राजस्थान आए बल्कि भारत को समझने और महसूस करने के लिए आए हैं। जयपुर के राजमंदिर पहुंचे अनुभव सिन्हा ने भास्कर से बात की। सिनेमा, समाज, छोटे शहरों की बदलती सोच और अपने अनुभवों पर खुलकर बात की। शाहरुख खान के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद करते हुए उन्होंने फिल्म 'रा.वन' के दिनों का एक दिलचस्प किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा- एक गाने के लिए ग्लोबल स्टार एकॉन से गवाने की इच्छा जताई। मुझे लगा था कि यह वह (शाहरुख खान) नहीं कर पाएंगे। लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया और हमारी फिल्म का गाना एकॉन ने गाया। मुझे यह उम्मीद इसलिए थी कि एक बार शाहरुख ने कह दिया तो वह हो ही जाएगा। आगे पढ़िए पूरा इंटरव्यू... सवाल: जयपुर आए हैं, यहां आने का क्या खास मकसद रहा है? अनुभव: देश घूमने निकला हूं। मुझे ऐसा लगने लगा था कि उम्र हो गई है। फिल्में बना रहे हैं, काम करते जा रहे हैं। ऐसे में पर्सनली लगा कि कट गया हूं। जिस छोटे शहर से मैं मुंबई आया हूं। वह भी अपने स्थान से कहीं और पहुंच गया है। उसकी यात्रा मैंने नहीं देखी है। ऐसे में मैंने सोचा कि 20 से 25 शहरों में जाऊंगा और खाना खाऊंगा। लोगों से मिलूंगा। हर शहर के मूवी थिएटर देखूंगा। क्यों अच्छे हैं, क्यों अच्छे चल रहे हैं। एक-आध ऐसा भी देखूंगा, जो क्यों नहीं चल रहे हैं? सड़कों पर समझने की कोशिश करूंगा कि सिनेमा के बारे में क्या सोचते हैं? मैंने लखनऊ और राजमंदिर में दोनों जगह सिनेमाघरों में बात की तो पता चला कि पब्लिक का थिएटर जाना कम नहीं हुआ है। पब्लिक फिल्म या कंटेंट चुन कर जा रही है। कौनसी देखनी है यह तय होते ही वह सिनेमाघर जाती है। पैसे का कोई इम्पैक्ट नहीं है। सवाल: बनारस से आप ताल्लुक रखते हैं, अब वहां किस तरह का बदलाव देखते हो? अनुभव: बनारस और लखनऊ दोनों जगह मुझे लगा कि अब दो जेनरेशन हैं। हालांकि मैं गलत हो सकता हूं। क्योंकि दो दिन में आप शहर को समझ नहीं सकते हैं। एक जनरल फीलिंग मुझे वहां देखने को मिली कि पहले जब हम बच्चे थे तो हम बड़ों के कल्चर को ही जीते थे। अब एक घर में दो कल्चर रहते हैं। बच्चों के साथ अब मां-बाप का भी विस्थापन हुआ है। पेरेंट्स बच्चों की दिशा में गए हैं। अब पेरेंट्स भी रील्स देख रहे हैं। पहले क्या होता था कि हम वह चीजें करते थे, जो हमारे मां-बाप किया करते थे। यह समीकरण थोड़ा सा बदला है। इसलिए छोटे शहरों में बड़े शहर के कल्चर का एक हिस्सा पहुंचा है। सवाल: ओटीटी में आने के बाद आप कंटेंट को लेकर चिंतित हैं, क्या इस यात्रा का मकसद उस कंटेंट की तलाश है, जो आज की चाहत है? अनुभव: यह संभव नहीं है कि आपको क्या देखना है, वह मैं बना देता हूं। कोई भी कलाकार चाहे वह कवि हो, लेखक हो या फिल्मकार हो। वह आमतौर पर राय पर अपना क्रिएशन बनाते हैं। उसकी इच्छा होती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग उसके काम को पसंद करें। इस दिशा में वह काम करता है। इसके लिए यह जरूरी है कि आप जाने उन्हें, जिनके लिए आप उम्मीद कर रहे हैं कि वह आपका काम देखें। मुझे नहीं लगता कि यह रास्ता वह है कि आपको क्या चाहिए, वह बना दूं। क्योंकि मैं जब तक आपके पास कुछ बनाकर भेजूंगा। तब आपकी राय बदल सकती है। उसका कोई अंत नहीं है। सवाल: आपके सिनेमा में आम लोगों की कहानियां झलकती हैं, मुल्क हो या आर्टिकल 15 हो, सभी में आम भावनाएं देखती हैं, सार्थक सिनेमा की तरफ जाने का मुख्य कारण? अनुभव सिन्हा: मैं ऐसा नहीं सोचता हूं। जब मैंने मुल्क बनाई थी, तब मैंने नहीं सोचा था कि सार्थक सिनेमा बना रहा हूं। यह चलेगी या नहीं चलेगी, इसके बाद मुझे कोई फिल्म मिलेगी या नहीं मिलेगी, मुझे कुछ नहीं पता था। पहली बार ऐसा हुआ था, जब मुझे ऐसा लगा था कि यह कहानी कहनी है। मुश्किलों के बावजूद मैंने मुल्क बनाई। मेरा रुझान इस तरह की फिल्मों की तरफ बढ़ा। ऐसे में वह फिल्में बनाता चला गया और वही कर रहा हूं। उसमें राजनीतिक सिनेमा, सार्थक सिनेमा, सामाजिक सिनेमा जैसा हिस्सा अब मेरे जीवन का एक पड़ाव बन गया है। सवाल: शाहरुख खान के साथ आपने काम किया है, अब उनका बेटा आर्यन भी निर्देशक के रूप में आ चुका है, उसे किस तरह देखते हैं? अनुभव: मैंने आर्यन को बहुत छोटा देखा है। 'रा.वन' के वक्त इधर-उधर भागता रहता था। मुझे बहुत अच्छा लगा कि वह निर्देशक बनकर आया। एक बच्चा अपनी अलग राय के साथ आगे आया। यह बेहद खास है। सभी चाह रहे थे कि आर्यन को हीरो लॉन्च किया जाएगा। एक बार शाहरुख से बात हो रही थी तो उन्होंने मुझे बताया था कि वह कुछ लिख रहा है, उसे कुछ डायरेक्ट करना है। आज उसने एक शो डायरेक्ट किया और सक्सेसफुल रहा। इससे बेहतर क्या हो सकता है। सवाल: शाहरुख से जुड़ा कोई किस्सा बताएं, आप उन्हें बेस्ट प्रोड्यूसर बताते हैं, ऐसी कोई बात जो आप शेयर करना चाहें? अनुभव: एक बार उनसे मैंने एक चीज ऐसी मांगी थी, जो मुझे लगता था कि वह नहीं दे पाएंगे। कभी कुछ चीजें पैसों से परे होती हैं। एक गाने की धुन बनी तो मैंने शाहरुख को फोन कर रह कहा कि मुझे हॉलीवुड सिंगर एकॉन चाहिए। तब शाहरुख थोड़ा रुके और बोले क्या चाहिए। मैंने कहा कि एकॉन से ही गवाना है। उस समय वह ग्लोबल स्टार था। शाहरुख ने कहा कि मैं देखता हूं, फिर उन्होंने एकॉन ला दिया। हालांकि मुझे यह उम्मीद इसलिए थी कि एक बार शाहरुख ने कह दिया तो वह हो ही जाएगा। मुझे उन पर शक नहीं था। हम अमेरिका में थे, न्यूयॉर्क में साथ थे। मुझे उन्होंने उस वक्त तक कुछ नहीं बताया था। न्यूयॉर्क में किसी काम से गए हुए थे। उस दिन हमें इंडिया के लिए निकलना था तो उन्होंने कहा कि हमें आज जल्दी निकलना है। पहले कहीं चलना है कुछ काम है। हम निकले, हमारी गाड़ी टाइम स्क्वायर गई, वहां बहुत बड़ी होटल थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे लगा कि शाहरुख का कोई काम होगा। वहां हम टॉप फ्लोर पर गए, दिन में नाइट क्लब गए। एक वीआईपी रूम में हमने एंट्री ली। वहां एकॉन बैठा हुआ था। यह बेहद खास था, मेरे लिए। सवाल: निर्देशक ही राइटर हो तो कितना आसान हो जाता है फिल्म बनाना? अनुभव: इसमें दोनों बातें हैं। इसमें नुकसान भी हो सकता है। जब आपके पास सारे कंट्रोल होते हैं तो उसके फायदे बहुत ज्यादा हैं। उसके नुकसान भी उतने ही हैं। इतनी सारी ताकत एक आदमी के पास हो तो काम आसान नहीं होता है। ऐसे में मैं पागल तो नहीं हुआ, लेकिन बहुत संभाल कर रहा हूं। बहुत अकेलापन सा हो जाता है। आप राइटर हैं और डायरेक्टर बोलता है कि यह सीन अच्छा नहीं लग रहा है, इसे चेंज करते हैं। आपके विपरीत एक राय तो होती है। हो सकता है कि वह राय आपसे हार जाए या आप हार जाएं। वहां बहुत कुछ संभाल कर चलना पड़ता है।
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